MP NEWS4-आध्यात्म योगी परम पूज्य आचार्य श्री विजय कलापूर्ण सूरीश्वर जी के शिष्य रत्न सूरी मंत्र समाराधक परम पूज्य आचार्य श्री विजय कुमुदचंद्र सूरीश्वरजी एवं मुनि श्री पुण्यनिधान विजयजी महाराज साहब ने शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब मानव अपनी जीवन लीला को समेट के परलोक गमन करता है तो उसकी प्रार्थना सभा में सब अपने अपने शब्दों में भावांजलि अर्पण करते हैं, सभा के भाव अंजलि के अंत में एक वाक्य समान होता है, भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। बात स्पष्ट है पर उस महानुभाव के पास धन दौलत शोहरत पद प्रतिष्ठा सब कुछ था पर शांति नहीं थी कोई भी उनके लिए धन मिले दौलत मिले परिवार मिले ऐसी प्रार्थना नहीं करता जीवन में शांति का स्थान ना हो तो जीवन व्यर्थ है मरने के बाद जो शांति हम चाहते हैं वह शांति अभी नहीं होगी तो मरने के बाद कहां से मिलेगी। एक चिंतक ने बड़ी अच्छी बात बताई हैं पहले अभाव में खुशी थी अब खुशी का अभाव है वस्तु सामग्री का ढेर है पर जीवन में शांति का एक क्षण मात्र का अंदेशा नहीं है। इसलिए जीवन में शांति प्रसन्नता समाधि की समता को बनाए रखें जो पाओगे वही मरने के बाद साथ आएगा। पूज्य आचार्य की श्री पार्श्व प्रधान पाठशाला मे दो दिन की स्थिरता रहेगी। शनिवार को भी प्रधान पाठशाला भवन में सुबह 9 बजे प्रवचन रखे गये है। उपरोक्त जानकारी नागदा श्रीसंघ के दिलीप ओरा व ब्रजेश बोहरा द्वारा दी गई।
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