MP NEWS24-शहर में नगर पालिका द्वारा बदबुदार, पीले पानी के वितरण एवं फिल्टर प्लांट के रखरखाव तथा घटिया किस्म की एलम खरीदी के मामले ने सत्ताधारी दल भाजपा को बैकफुट पर लाकर खडा कर दिया है। सोश्यल मिडिया पर लगातार भाजपा के चर्चीत चेहरे दिनेश को लेकर सवाल उठाऐ जा रहे हैं। बताया जाता है कि श्री विनायक मार्केटिंग नामक जिस फर्म से नगर पालिका द्वारा एलम खरीदी गई पार्टी एवं एक पूर्व जनप्रतिनिधि के खासमखास माने जाते हैं। ऐसे में घटिया किस्म की सामग्री नगर पालिका में सप्लाय करने का मुद्दा शहर में काफी गर्म है। गुरूवार को सोश्यल मिडिया पर घटिया सामग्री सप्लाय को लेकर काफी टीका-टिप्पणी हुई।क्या है मामला
शहर में नगर पालिका द्वारा 17 हजार नल कनेक्शनों एवं 1 लाख से अधिक जनसंख्या को दुषित एवं बदबुदार पेयजल का वितरण किया जा रहा है। नपा का फिल्टर मिडिया कई महिनों से खराब है लेकिन उसको बदलने में अभी एक महिना और लगेगा। नपा में घटिया किस्म की एलम सप्लाय का मुद्दा भी काफी चर्चाओं में है। ऐसे में 20 से 25 करोड से अधिक की राशि जल आवर्धन योजना पर व्यय होने के बाद भी शहर के नागरिकों को शुद्ध पेयजल प्राप्त नहीं हो पा रहा है। जबकि योजना के मुर्तरूप लेने से पूर्व जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने तीसरी मंजिल तक आरो जैसा शुद्धपेयजल नागरिकों को प्रदान किए जाने के दावे किए गए थे। 20 वर्षो से जारी जल आवर्धन योजना के कार्य अभी तक पुरे नहीं हो पाऐ हैं। ऐसे में अब जनता के सब्र का बांध टूट गया है तथा भीषण गर्मी में जनता पेयजल के लिए भटक रही है। नवीन वितरण लाईन लडने के बाद भी कई क्षेत्रों में आज भी 10-15 मिनिट ही पेयजल मिल पा रहा है।
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नपा के सारे ठेके नेताओं का चहेता दिनेश ही लेगा, और जनता को गंदा पानी मिलेगा
शहर में इन दिनों उक्त जुमला काफी चर्चा में है कि नगर पालिका के सारे ठेके चाहे वह रेलिंग का हो या फिर पेंटिंग, शहर में लाईट लगाने, फिटकरी, एलम सप्लाय, चाईना लाईट, फिनाईल हो या छाती बरसाती सभी दिनेश ही सप्लाय करता है। नपा के सुत्रों का कहना है कि इस सप्लायर को कार्य देने हेतु नेताओं द्वारा दबाव बनाया जाता है जिसके चलते वह घटिया एवं गुणवत्ताविहिन सामग्री सप्लाय करता है तथा नपा के अधिकारी एवं कर्मचारी आंखमुंद का भ्रष्ट्राचार करते हैं। बताया जाता है कि नपा जहॉं जनता की खून-पसीने की कमाई टैक्स के रूप में जमा होती है में नेताओं ने खुली लूट मचा रखी है तथा 22 से 30 प्रतिशत कमीशन एक आम शिष्टाचार माना जा रहा है। ऐसे में यदि नपा 1 लाख का कार्य करती है तो 30 हजार रूपये तो भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ जाते हैं तथा शेष राशि में से ठेकेदार भी 20 प्रतिशत कमाता है। ऐसे में 50 प्रतिशत राशि ही वास्तविक लग पाती है। ऐसे में कार्य एवं सामग्री क्रय की गुणवत्ता का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
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