नागदा जं.--फर्जी मार्कशीट से ग्रेज्युऐशन के साथ स्कॉलरशीप का लाभ भी लेता रहा मकवाना अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर अध्यक्ष ने कर दिखाया कारनामा

MP NEWS24-चाल, चरित्र एवं चेहरे की बात करने वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी के अनुशांगिक छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नागदा नगर अध्यक्ष सुरज मकवाना की कक्षा 12वीं की अंकसूची जो कि झारखण्ड शिक्षा बोर्ड की थी को विक्रम विश्वविद्यालय की जांच समिति ने फर्जी माना है। बताया जाता है कि उक्त फर्जी अंकसूची के माध्यम से अभाविप के नगर अध्यक्ष ने नागदा शासकीय महाविद्यालय से ग्रेज्युशन भी कर लिया था तथा प्रतिवर्ष 8000 रूपये की छात्रवृत्ति भी पा रहा था। मार्कशीट फर्जी साबित होने के बाद संबंधित के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की तलवार अब लटक गई है।

क्या है मामला
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार नागदा निवासी तथा अभाविप के शहर अध्यक्ष सूरज मकवाना ने वर्ष 2015 की हायर सेकेण्डरी उत्तीर्ण की अंकसूची शासकीय महाविद्यालय नागदा में प्रस्तुत कर बी.कॉम. प्रथम वर्ष में महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त किया था। तीन वर्षो तक फर्जी अंकसूची के आधार पर सूरज मकवाना महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करता रहा तथा शासन की छात्रवृत्ति का लाभ भी प्राप्त करता रहा। लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन को इसका पता नहीं लगा। महाविद्यालय के ततकालीन प्राध्यापक डॉ. राकेश परमार जो कि दो वर्ष पूर्व नागदा में पदस्थ थे तथा प्रवेश समिति के अध्यक्ष के अध्यक्ष भी थे उन्हें सुरज की अंकसूची झारखण्ड की होने की जानकारी लगी। डॉ. परमार ने सूरज के दस्तावेजों की जांच की तो उन्हें दाल में कुछ काला नजर आया तथा उन्होंने इस पुरे मामले की शिकायत मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति को की। मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को मिलने पर उनके द्वारा मामले की अंदरूनी जांच करवाई जाकर विश्वविद्यालय की स्थायी समिति की बैठक में उक्त मामले को रखा। बैठक में सदस्यों द्वारा पुरे प्रकरण पर विचार उपरांत विश्वविद्यालय से प्राप्त की गई अंकसूची एवं डिग्री को निरस्त करने का 27 दिसम्बर 2021 को आदेश जारी कर दिया। आदेश के 4 माह बीत जाने के बाद भी अभी तक संबंधित के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। मामले में हमारे प्रतिनिधि द्वारा विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं महाविद्यालय के प्राचार्य पीबी रेड्डी से चर्चा करनी चाही लेकिन उन्होंने अपना फोन रिसिव नहीं किया।
शिकायत करने वाले प्राध्यापक का करवा दिया स्थानांतरण
इस पुरे मामले को उजागर करने वाले प्राध्यापक डॉ. परमार को फर्जी अंकसूची का मामला उजागर करना भी काफी महंगा पडा। लेकिन वह अपने कर्तव्य पथ से नहीं डिगे तथा राजनीतिक दबाव में नागदा से स्थानांतरण करवा दिऐ जाने के बाद भी उनके द्वारा जांच में पूर्ण सहयोग दिया गया तथा पुरे मामले की तह तक विश्वविद्यालय तक पहुॅंचा तथा यह बडा मामला उजागर हुआ है। राजनीतिक दल से जुडे सूरज की फर्जी अंक सूची का मामला उठाने के बाद डॉ. परमार को नागदा से स्थानांतरित कर दिया गया। जिसका परिणाम भी नागदा के विद्यार्थीयों को भूगतना पडा तथा बीते एक वर्ष से गणित संकाय के एक भी प्रोफेसर महाविद्यालय में नहंी आऐ जिसके चलते बीएससी एवं एमएससी की एक भी कक्षाऐं नहीं लग पाई। आने वाले दिनों भी विद्यार्थीयों को इस समस्या से दो-चार होना पडेगा।
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आखिर कैसे एवं किसके माध्यम से बनवाई गई फर्जी डिग्री
विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा पुरे मामले की जांच उपरांत अभाविप नगर अध्यक्ष सूरज मकवाना की विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई सभी अंकसूचीयों एवं डिग्री को निरस्त कर दिया है। बताया जाता है कि मकवाना वर्तमान में एक निजी उद्योग मेें सुरक्षा विभाग में कार्यरत है। मामले में सबसे अधिक चौकाने वाली बात यह है कि आखिर मकवाना की 12वीं कक्षा की अंकसूची बनवाने में किन-किन लोगों ने उसकी मदद की तथा किन लोगों के माध्यम से यह पुरा खेल खेला गया। यदि जांच की जाऐ तो नकली अंकसूची बनाने वाला एक बडा रैकेट का खुलासा हो सकता है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन एवं स्थानिय प्रशासन की कछुआ चाल कई नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड कर सकती है। क्योंकि वर्तमान में भी उक्त गिरोह सक्रिय होकर किसी न किसी युवा की जिन्दगी को जरूर बर्बाद कर रहा होगा।

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