MP NEWS24-नगर पालिका एवं नगर परीषण के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने पर दल-बदल एक महत्वपूर्ण समस्या के रूप में खडा हो गया है। जिससे की नगरीय निकायों में अस्थिरता फैलेगी, जिस तरह अध्यक्ष पद हेतु अधिनियम में त्रुटि होने के कारण आयु सीमा 25 वर्ष से कम कर 21 वर्ष की उम्र का अध्यादेश लाकर शासन द्वारा निर्धारित करते हुए संशोधन किया गया है उसी तरह अप्रत्यक्ष प्रणाली के चलते दल-बदल विरोधी विधेयक अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में शासन द्वारा इस संबंध में शीघ्रता-शीघ्र अध्यादेश जारी कर दल-बदल पर रोक लगाते हुए इसे एक अपराधिक क्रत्य घोषित करते हुए दण्ड का प्रावधान किया जाए।उक्त मांग करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता, ज्युडिशियल एक्टीविट्स एवं व्यापम पिटिशनर अभय चौपडा ने बताया कि दल-बदल विरोधी कानून सांसद, विधानसभा सदस्यों को एक पार्टी से दुसरी पार्टी में शामिल होने पर दण्डित करता है। संसद ने इसे 1985 में 10वीं अनुसूची एवं 52वें संशोधन के रूप में संविधान में जोडा है। इसका उद्देश्य दल-बदलने वाले जनप्रतिनिधियों को हतोस्थाहित कर सरकारों में स्थिरता लाना है। इस तरह का कानून की आवश्यकता वर्तमान में नगरीय निकायों में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने पर आवश्यक हो गई है जिसका की अधिनियम में शासन द्वारा किसी का प्रावधान इसलिए नहीं किया गया था कि पिछले 15 वर्षो से सतत प्रत्यक्ष प्रणाली से जनता अध्यक्ष चुन रही थी। शासन ने इसे अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का आदेश तो कर दिया लेकिन दल-बदल के संबंध में शासन द्वारा भारी चुक हो गई जिससे की छोटे स्तर पर दल-बदल की स्थिति का भारी सामना करना पडेगा और सारे नगरीय निकाय अस्थिर हो जाऐंगे जिससे की आम जनता के सामान्य काम और विकास रूक जाऐगा और भ्रष्ट्राचार, दादागिरी, आतंक बढेगा और देश की लोकतांत्रिक प्रणाली के समक्ष बडा खतरा उत्पन्न हो जाऐगा।
श्री चौपडा ने कहा कि उक्त संबंध में एक सूचना पत्र राज्य शासन एवं राज्य निर्वाचन आयोग को प्रेषित करते हुए मांग की गई है कि नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम एवं अध्यक्ष के निर्वाचन कार्यक्रम के रूप इस तरह का अध्यादेश शीघ्रताशीघ्र जारी किया जाऐ। साथ ही सामुहिक एवं व्यक्तिगत किसी भी प्रकार के दल-बदल पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाते हुए अपराधिक क्रत्य घोषित किया जाऐ।
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