MP NEWS24- पूज्य महासति दिव्यज्योतिजी ने कहा कि कागज के फुल बेशक दिखने में बहुत खुबसूरत होते है लेकिन उनमें खुशबु बिलकुल नहीं रहती है। इसी प्रकार संसार में गुणी रूपी गुणवान मानव जहां भी जाते है औरो को भी अपना बना लेते है एवं अवगुणी जहां भी जाते है वो कागज के फुलो की तरह आपनो को भी पराया बना लेते है। पूज्य वैभवश्रीजी ने कहा कि मानव का मन चंचल होता है जो इधर-उधर भटकता रहता है लेकिन जीनवाणी के श्रवण से वह ज्ञान ध्यान पर आकर्षण होने लगता है। पूज्य नाव्याश्रीजी ने ‘मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया‘ की तर्ज पर ‘मान जा मन अब मुझे विश्राम करने दे‘ आकर्षक स्तवन सुनाया।मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि अतिथि सत्कार का लाभ अशोकजी अश्विनजी कोलन ने लिया। जाप की प्रभावना का लाभ दीपिका दिनेशजी ओरा ने लिया। तेले की लड़ी सरिता नरेन्द्र रामसना की थी। संचालन अशोक कोलन ने किया आभार प्रकाशचन्द्र जैन लुणावत एवं सतीश जैन सांवेरवाला ने माना।
धर्मसभा में राजेन्द्र कांठेड़, अमरचंद जैन, अभय चपलोत, अनिल पावेचा, रमेश तांतेड, रखबचन्द पितलीया, हुकुमचन्द चपलोत, सुरेन्द्र पितलीया, दिलीप कांठेड, अजीत मारू, किशोर राठौड, अजय मुरडिया, विजय पितलीया एवं राजा कर्नावट आदि उपस्थित थे।
Post a Comment